ग़ज़ल

Feb 10, 2012 19:21


दिलों को पिरोने वाला अब वो तागा नहीं मिलता
रिश्तों में नमीं प्यार में सहारा नहीं मिलता

यूँ ही बैठे रहो, चुप रहो, कुछ न कहो
लोग मिल जातें हैं दोस्ती का इशारा नहीं मिलता

रेत बंद हाथों से फिसलती जाती है
वक्त जो टल जाता है दोबारा नहीं मिलता

डूब जाने दो दरियाओं में मुझे ऐ हमदम
अब वो सुकून भरा किनारा नहीं मिलता

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