तू अपने जैसा अछूता खयाल दे मुझको

May 24, 2011 12:57


तू अपने जैसा अछूता खयाल दे मुझको
मैं तेरा अक्स हूँ अपना जमाल दे मुझको

मैं टूट जाउँगी लेकिन झुक न सकूंगी कभी
मजाल है किसी पैकर में डाल दे मुझको

मैं अपने दिल से मिटा दूंगी तेरी याद मगर
तू अपने ज़ेहन से पहले निकाल दे मुझको

मैं संगे कौह की मांनिंद हूँ न बिखरूंगी
न हो यकीं जो तू उछाल दे मुझको

खुशी खुशी बढ़ूं खो जाऊं तेरी हस्ती में
अना के ख़ौफ से “सानी” निकाल दे मुझको

- ड़ा. ज़रीना सानी

अक्स - प्रतिबिंब /reflection
जमाल - सौंर्दय /beauty
पैकर - िजस्म / body (here it means mould)
संगे कौह - पहाड़ का पत्थर / stone (here it means strong as a stone)
अना - अहंभाव /ego

This Ghazal was published in “Kaumiraj” (date not known)

Originally published at Swati Sani. Please leave any comments there.

inspirations, dr. zarina sani

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